तू कहता है कि तू मेरा अपना है,
तू कहता है कि मेरा दर्द समझता है,
चाहे तू कितना ही अपना हो, कितना ही समझता हो,
अपना दर्द तो आप ही सहना होता है |
चिलमिलाती धुप की चुभन,
भले खजूर के पेड़ के नीचे वाली रेत समझती है,
वो चाहे कितनी ही अपनी है, कितना ही समझती है,
मगर असल में बिन छाँव वाली रेत को ही तड़पना होता है |
भले पिता कहदे,
तेरी माँ का हर दर्द मैं समझता हूँ,
चाहे वो कितने ही अपने हों, कितना ही समझते हों,
प्रसव की पीड़ा तो माँ को ही सहना होता है |
तू कहता है कि मेरा दर्द समझता है,
चाहे तू कितना ही अपना हो, कितना ही समझता हो,
अपना दर्द तो आप ही सहना होता है |
चिलमिलाती धुप की चुभन,
भले खजूर के पेड़ के नीचे वाली रेत समझती है,
वो चाहे कितनी ही अपनी है, कितना ही समझती है,
मगर असल में बिन छाँव वाली रेत को ही तड़पना होता है |
भले पिता कहदे,
तेरी माँ का हर दर्द मैं समझता हूँ,
चाहे वो कितने ही अपने हों, कितना ही समझते हों,
प्रसव की पीड़ा तो माँ को ही सहना होता है |
1 comment:
Jo dard sehna jaanta hai usse hi khusi ka bhi ehsas hota hai.. Lekin apne daman se dard ko basne na dena.... Zindagi mein khush rahoge toh kushi zarur baantoge... Anyways, great piece of work.. Ab kuch khusi wale bhi ho jaye.. kab tak Lady Galib bane rahoge???
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