जाने कौन सा तीर,
दिल में चुभ रहा है,
भरी भरी सी महफ़िल है,
मगर दिल करहा रहा है ||
एक अजीब सा डर,
बस गया है जीवन में,
आसपास का अँधेरा,
कहीं भर न जाए जीवन में ||
अपनों के बीच भी,
गैरों सा महसूस होता है,
जैसे पेड़ पर कीड़ लगा पत्ता,
अपनों के बीच भी अकेला ही रहता है ||
ऐसा लगता है मानो,
किसी को हमारी नहीं है ज़रूरत,
बस देखते ही, बनावटी मुस्कान देना,
बन गयी है शायद लोगों की आदत ||
यही मुस्कान तो हमें,
कर देती है सबसे कटा-छंटा,
मानो कह रही हो हमसे,
'अब कह भी दो अलविदा ' ||
कहीं ये मेरा भ्रम तो नहीं,
जो गैरों को अपना समझ रही हूँ,
इतनी मायूसी, इतना डर,
खामखाँ गले लगा रही हूँ ||
अगर ये मेरा भ्रम है,
तो तोड़ दे इसे हे मेरे अंतरमन !
जीना चाहती हूँ मैं,
छोड़कर मायूसी का दामन ||
दिल में चुभ रहा है,
भरी भरी सी महफ़िल है,
मगर दिल करहा रहा है ||
एक अजीब सा डर,
बस गया है जीवन में,
आसपास का अँधेरा,
कहीं भर न जाए जीवन में ||
अपनों के बीच भी,
गैरों सा महसूस होता है,
जैसे पेड़ पर कीड़ लगा पत्ता,
अपनों के बीच भी अकेला ही रहता है ||
ऐसा लगता है मानो,
किसी को हमारी नहीं है ज़रूरत,
बस देखते ही, बनावटी मुस्कान देना,
बन गयी है शायद लोगों की आदत ||
यही मुस्कान तो हमें,
कर देती है सबसे कटा-छंटा,
मानो कह रही हो हमसे,
'अब कह भी दो अलविदा ' ||
कहीं ये मेरा भ्रम तो नहीं,
जो गैरों को अपना समझ रही हूँ,
इतनी मायूसी, इतना डर,
खामखाँ गले लगा रही हूँ ||
अगर ये मेरा भ्रम है,
तो तोड़ दे इसे हे मेरे अंतरमन !
जीना चाहती हूँ मैं,
छोड़कर मायूसी का दामन ||
6 comments:
Yeh sirf alfaaz hai ya dil ki aah??
Dil per Jab Dard ho to awaaz ki goonj zor se lagti hai ... Bhari mehfil bhi khali si lagti hai ... samjha le apne antarman ko nahin to zindagi bekar si lagne lagti hai ...
dil ka dard jisne alfaaz ka roop le liya hai...
Kehte hain Dil ka dard zahir karo toh kam hota hai.. Aur hum tumhare hi dar pe baithen hain tumhare dard ko cheen-ne ke liye..
hum wo log hain jo izhaare gham nahi karte, dil se rote hain, par aankhen nam nahi karte.....
sayad isiliye hum aapke deewane hai...
Post a Comment