Friday 9 December 2011

स्वतंत्र भारत - एक सपना


सपना था सभी भारतियों का,
भारत बने एक स्वतंत्र देश,
विकास के पर लगाके उड़े,
पीछे छोड़ जाए सारे देश ||१||


हिन्दू, मुस्लिम, सिख इसाई,
सब ने तत्परता दिखलाई थी,
सुभाष की एक पुकार में,
सारी जनता दौड़ी चली आई थी ||२||


तिलक, अशफ़ाक, राजगुरु, 
का बलिदान खाली न गया,
सुभाष, गाँधी, नेहरु,
की आवाज़ ने भी काम किया ||३||


फिर उगा एक दिन,
आज़ादी का सूरज बड़ी शान से,
फूले न समाते थे लोग,
फिरंगी को भगा दिया जो हिन्दुस्तान से ||४||


अरे, ये क्या  ?
भारत फिर बन गया ग़ुलाम,
अपनों ने ही अपनों को लुटा,
किया भारत को बदनाम ||५||


कहाँ गया गांधी का भारत,
कहाँ राम-राज का सपना,
'हम', 'हमारा' बस शब्द बनकर रह गए,
सूझता है लोगों को बस अपना अपना ||६||


दल-बदलू हमारे नेता बने,
जिनके हाथ है राष्ट्र की कमान,
सरे-आम निलाम हो रही है भारत माँ,
रोते-रोते हो गयी, पत्थर सामान || ७||


शतरंज की बाज़ी में देखो,
किसने खोया, किसने पाया,
मायावती ने यु.पि को दबोचा,
लालू ने बिहार को खाया ||८||


तोगड़िया की राजनीति ने,
चढ़ा दी मुसलमानों की बलि,
हाय रे मति ! सुभाष तेरे देश में,
हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे की क्या हो गयी गति ||९||


ठाकरे ने अपनी निति चलाई,
उधर बंगाल में ममता चिल्लाई,
पर्लिअमेंट को समझते हैं खेल का मैदान,
खेलते हैं वहां कुत्ते-बिल्ली की लड़ाई ||१०||


न जाने नया सूरज,
कैसे खिलाडी दिखलाता है,
स्वच्छ और उन्नत भारत का सपना,
अब तो अधुरा ही लगता है ||११||

Note:
This poem was written in the year 2002-03. 

4 comments:

sanjay singh said...

very nicely written......... its really true msg............

Zabin said...

thanx a lot sanjay...

Mohsina said...

Thanx mam .Its a true message that we all know & we should know as we all are Indian.

Royal said...

Nice one :) Incredible blogger..