Monday 9 January 2012

माना के तेरे दामन में,
       आज काँटे बहुत हैं,
तूफानों ने तुझे,
       सताया बहुत है,
साहिलों पे डूबीं हैं,
       कश्तियाँ तेरी,
किस्मत ने तुझे,
       आज़माया बहुत है |


तो क्या हुआ,
       जो चंद लोग तेरा साथ न दे पाए,
तो क्या हुआ जो कुछ फूल,
       तेरे दामन में वक़्त से पहले ही मुरझाये,
शायद उतने का ही साथ,
       किस्मत थी तेरी,
वरना क्या मजाल थी,
       कि कोई यूँ हीरे को छोड़ जाए |


न कर ग़म उसका,
       जो तेरा न हो सका,
न कर इंतेज़ार उस पंथी का,
       जो बस पानी के लिए रुका, 
सच मान, तेरी ज़िन्दगी में,
      खुशियाँ दस्तक देने वाली हैं दोस्त,
उन खुशियों को देख, उस पंथी को नहीं,
       जो कभी किसी का न हो सका |


बेवफाओं कि याद में,
       आँसूं बहाना फ़िज़ूल है,
जो कभी किसी का न हो सका, उसकी याद में,
      दिल को जलाना फ़िज़ूल है,
नया दिन, नया पन्ना है,
       एक नयी कहानी लिख तेरी,
पुराने पन्नों को बार बार,
       यूँ पलटना फ़िज़ूल है |


याद रख, मेरा खुदा 
       जो बड़ा दिलदार है,
तेरे ग़मों की ज़िन्दगी के बचे,
       बस दिन दो-चार है,
इतनी खुशियों से भरने,
       वाला है झोली वो तेरी,
कि झोली कम पड़ जाएगी,
       भेजने वाला वो इतना सारा दुलार है ||

Sunday 1 January 2012

जीना अभी बाक़ी है

न दे इतने ज़ख्म,
कि जी न सकूँ,
ग़म की शराब, 
पी न सकूँ,
पीना चाहती हूँ,
कि रात अभी बाकी है,
पैमाना भर चूका है,
छलक जाना अभी बाक़ी है |

माना के ग़म का समन्दर,
है मेरे लिए,
कमबख्त पिए तो कोई,
इसे कैसे पिए,
डूबना चाहती हूँ मगर,
तैरना अभी बाकी है,
मौत की तमन्ना है मगर,
जीना अभी बाकी है |

काँटों का दामन,
है मेरा मुक़द्दर,
कि नसीब में नहीं है,
फूलों का बिस्तर,
मत बीछा राहों में और कांटे,
कि दूर तलक चलना अभी बाकी है,
कुरेद मत ज़ख्मों को मेरे,
कि तन्हाई में सिसकना अभी बाकी है ||