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Tuesday, 6 December 2011

चाहत और किस्मत

फूल खिलता है सूरज की पहली किरण के साथ,


तमन्ना होती है उसकी,


कि किसी दुल्हन के सेहरे में सजुं,


किसी देव के चरणों में चढूं,


कौन जाने उस फूल कि किस्मत उसे कहाँ ले जाये,


किसी दुल्हन के सेहरे के बजाये, मय्यत पे सजाये,


देव के चरण स्पर्श करने को मिले न मिले,


हो सकता है कि यूँही खड़े खड़े धुल में मिल जाये,


किस्मत कि कश्ती में सवार होकर फूल यूँही सफ़र करता है,


ज़िन्दगी के समंदर में आये हर तूफ़ान को झेल कर आगे बढ़ता है,


हसरतें उसकी ग़र पूरी भी न हों,


शाम ढलने पर मगर किस्मत को ही झुककर सलाम करता है ||

Thursday, 27 December 2007

हसरतें

इन बड़ी बड़ी आँखों में ख्वाब सैंकड़ो ,

चाहतें सैंकड़ो हैं,

इस छोटे से दिल में तमन्नाएं सैंकड़ो,

हसरतें सैंकड़ो
हैं

चाहतों के इस मेले में,

हसरतों के इस खेले में,

कौन जाने किसी हसरत को हकीक़त के पर मिल जाए,

किसी चाहत को सच्चाई की चादर मिल जाये,

इसी आस में,


सपनो को बुना करती
हूँ


हकीक़त से अनजान नहीं मै ,

फिर भी हकीक़त से हिजाब किया करती
हूँ