फूल खिलता है सूरज की पहली किरण के साथ,
तमन्ना होती है उसकी,
कि किसी दुल्हन के सेहरे में सजुं,
किसी देव के चरणों में चढूं,
कौन जाने उस फूल कि किस्मत उसे कहाँ ले जाये,
किसी दुल्हन के सेहरे के बजाये, मय्यत पे सजाये,
देव के चरण स्पर्श करने को मिले न मिले,
हो सकता है कि यूँही खड़े खड़े धुल में मिल जाये,
किस्मत कि कश्ती में सवार होकर फूल यूँही सफ़र करता है,
ज़िन्दगी के समंदर में आये हर तूफ़ान को झेल कर आगे बढ़ता है,
हसरतें उसकी ग़र पूरी भी न हों,
शाम ढलने पर मगर किस्मत को ही झुककर सलाम करता है ||
तमन्ना होती है उसकी,
कि किसी दुल्हन के सेहरे में सजुं,
किसी देव के चरणों में चढूं,
कौन जाने उस फूल कि किस्मत उसे कहाँ ले जाये,
किसी दुल्हन के सेहरे के बजाये, मय्यत पे सजाये,
देव के चरण स्पर्श करने को मिले न मिले,
हो सकता है कि यूँही खड़े खड़े धुल में मिल जाये,
किस्मत कि कश्ती में सवार होकर फूल यूँही सफ़र करता है,
ज़िन्दगी के समंदर में आये हर तूफ़ान को झेल कर आगे बढ़ता है,
हसरतें उसकी ग़र पूरी भी न हों,
शाम ढलने पर मगर किस्मत को ही झुककर सलाम करता है ||